व्यवस्थापनके तत्त्व (Principles of Management) यह विषय पढाते समय छत्रपति शिवरायके विषयमें दिएं कुछ उदाहरण निम्नानुसार हैं ।
अ. ‘Forecasting' (पूर्व अनुमान) पढाते समय शिवरायके स्वराज्यके ‘कान- नाक-आंख’के रूपसे परिचित ‘बहिर्जी नाईक’ का उदाहरण दिया ।
आ. ‘Planning’ (नियोजन) पढाते समय हिंदवी स्वराज्यका दीर्घकालीन नियोजन करते हुए महाराष्ट्रमें ३५० गढोंकी निर्मिति करनेवाले शिवरायका उदाहरण दिया ।
इ. ‘Decision Making’ (नर्णयक्षमता) यह तत्त्व पढाते समय छत्रपति शिवरायद्वारा किया गया अफजलखानका वध, प्रसंगानुरूप मिर्झाराजे जयसिंगके साथ सुलह करनेका निर्णय, साथ ही नेताजी सुभाषचंद्र बोसका अंग्रेजोंकी कडी देखरेखसे छुटनेका निर्णय, इत्यादि उदाहरण दिएं ।
ई. ‘Leading’ (नेतृत्व) पढाते समय यह सूत्र अधिक स्पष्ट करनेके लिए निम्नानुसार पंक्तिका उपयोग किया - ‘‘Ch. Shivaji Maharaj was the great Leader in the Indian History; औरंगजेब इस प्रकारका नेता नहीं हो सका । नेताके समस्त गुण छत्रपति शिवाजी महाराजमें अंगभूत थे; परंतु हमारे महाराष्ट्रका दुर्भाग्य यह है कि, औरंगजेबके नामसे बडा जनपद हमारे यहां है; किंतु छत्रपति शिवरायके नामसे एक भी महानगर भी इस महाराष्ट्रमें नहीं है ।’
Monday 28 April 2014
शिवाजी महाराज आज और कल
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