Thursday, 13 March 2014

desh kay hi

देश क्या है? कागज़ के टुकड़ो पर खिंची हुयी लकीरें , या उनकी चौकसी करते कुछ नौज़वान ? तेरे -मेरे अधिकारों और जिम्मेदारियों की एक क़िताब , या उन अधिकारों और ज़िम्मेदारियों का आधार ? क्या है ये चंद गिने-चुने लोगों की मिल्कियत, या गणतंत्र के हर गण की है एक आवाज़? देश क्या है? देश है क्या? सिनेमाघरों में जन-गण-मन सुन, खड़े हो जाना है ये देश? या हर इक जन गण मन को समझ पाना है ये देश? तेरे-मेरे होने की वजह है ये देश? या तेरे-मेरे होने की वजह से है ये देश? देश है क्या? देश क्या है? मेरे बिस्तर को सड़क पर उछाल तमाशा करते लोग? या मेरी मोहब्बत को अपराध करार देता ये कानून? मेरे होने को झुठलाता हुआ मेरा परिवार, ये समाज़? या आज तेरे-मेरे बीच मेरे होने की हुंकार लगाता... मैं? देश है क्या? देश क्या है?

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